Wednesday, May 22, 2019

सांसदों के पास डील के समर्थन का आखिरी मौका'

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी सार्वजनिक रूप से धार्मिक यात्राएं करती थीं और उसकी ख़बरें आया करती थीं.
वह कहते हैं, "मंदिर में जाना, वहां रूद्राक्ष की माला पहनना, पूजा-अर्चना करना, यह सब इंदिरा भी करती थीं. ऐसा नहीं है कि वह ये सब निजी रूप से और छिपाकर करती थीं. बहुत से नेता सार्वजनिक नहीं करना चाहते कि वे कहां गए. मगर इंदिरा गांधी ऐसा करती थीं और उसका मीडिया में प्रचार होता था. खबरें भी आती थीं. फ़र्क़ ये है कि उस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं थी. इसलिए उस समय के वीडियो तो नहीं मिलेंगे, मगर चित्र मिल जाएंगे."
प्रदीप सिंह कहते हैं कि इंदिरा के बाद अगर कोई ख़ुद को हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति से सार्वजनिक तौर पर जोड़कर दिखाने की कोशिश कर रहा है तो वह नरेंद्र मोदी हैं और वह बड़े स्तर पर ऐसा कर रहे हैं.
वह कहते हैं, "इस बात का उनको फ़ायदा यह है कि ये सब उनकी पार्टी की विचारधारा से भी मेल खाता है. जो वह कर रहे हैं, उसमें और पार्टी की विचारधारा में समरसता नज़र आती है."
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने सांसदों से अपील की है कि वो ब्रेक्ज़िट की 'नई डील' का समर्थन करें. प्रधानमंत्री के मुताबिक सांसदों के पास ऐसा करने का 'आखिरी मौका' है.
प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने कहा कि अगर सासंद यूरोपीय संघ से अलग होने के विधेयक का समर्थन करेंगे तो उन्हें इस बात पर मतदान करने का मौका मिलेगा कि क्या ब्रेक्ज़िट को लेकर दूसरी बार जनमत संग्रह होना चाहिए.
प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने कहा, "मैं इस अहम मुद्दे पर सदन में सच्ची और ईमानदार भावनाओं की कद्र करती हूं. सरकार दूसरा जनमत संग्रह कराने के मुद्दे पर वोटिंग करा सकती है, लेकिन ये तभी होगा जब ईयू से अलग होने से जुड़े समझौते को मंज़ूरी मिल जाए."
सके पहले टेरीज़ा मे का बिल संसद में तीन बार नामंज़ूर हो चुका है. लेकिन उनका कहना है कि इस बार उन्होंने बिल में कुछ बदलाव किए हैं. उनके मुताबिक उन्होंने इसमें दस बिंदू जोड़े हैं.
लेकिन मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन का कहना है कि उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन नहीं कर सकती, क्योंकि ये पहले वाले बिल का ही बदला हुआ रूप है.
उन्होंने कहा, "हम बिल का समर्थन नहीं कर सकते, क्योंकि ये पहले वाले बिल का ही बदला हुआ रूप है और इसमें बाज़ार के एकत्रीकरण या सीमा शुल्क संघ या अधिकारों के संरक्षण, खासकर ग्राहकों के अधिकारों और जो खाना हम भविष्य में खाएंगे, उसकी गुणवत्ता के बारे में कोई बात नहीं की गई है."
लेकिन टेरीज़ा मे का कहना है कि ये बिल श्रमिक अधिकारों, पर्यावरण सुरक्षा और उत्तरी आयरिश सीमा जैसे मसलों के हल का भरोसा देता है.
प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे की पार्टी के ही कुछ नेता इस बिल का समर्थन नहीं कर रहे हैं. कंज़रवेटिव पार्टी से सांसद के जैकब रीस-मॉग ने कहा कि टेरीज़ा मे का ये प्रस्ताव 'पहले वाले प्रस्ताव से भी खराब है'.
वहीं टेरीज़ा मे का कहना है कि अगर समझौते को समर्थन नहीं मिलता तो शायद ब्रेक्ज़िट ही ना हो.
सारी कोशिशें करने के बाद टेरीज़ा मे आखिरी दांव के तौर पर जून की शुरुआत में ब्रेक्ज़िट समझौता विधेयक को संसद के सामने पेश करने जा रही हैं.
उन्होंने कहा, "ज़्यादातर सांसदों ने कहा है कि वो जनमत संग्रह के नतीजों को डिलिवर करना चाहते हैं और मेरा मानना है कि ये करने के लिए आखिरी मौका है."
इससे पहले भी टेरीज़ा मे समझौते पर सहमति बनाने की पुरज़ोर कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन हर बार उन्हें नाकामी ही हाथ लगी.
मार्च में तो उन्होंने टोरी सांसदों से ये वादा तक कर दिया था कि यदि उन्होंने यूरोपीय यूनियन से अलग होने के लिए ब्रेक्ज़िट डील का समर्थन किया तो वे अपनी कुर्सी छोड़ देंगी.