Monday, September 17, 2018

इसराइल में 'दुनिया की सबसे पुरानी शराब की भट्टी' मिली

शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इसराइल में हैफ़ा के नज़दीक प्रागैतिहासिक काल की एक गुफा से दुनिया की सबसे पुरानी शराब की भट्टी मिली है. साथ ही 13,000 साल पुरानी बीयर के अंश मिले हैं.
यह खोज तब हुई है जब एक कब्रिस्तान का अध्ययन चल रहा था. ऐसा अनुमान है कि यह कब्रिस्तान घुमंतू शिकारियों का है.
ऐसा माना जाता है कि बीयर बनाने की प्रक्रिया  साल पुरानी है, लेकिन नई खोज से बीयर का इतिहास बदल सकता है.
इस खोज से यह भी संकेत मिलता है कि बीयर केवल ब्रेड बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती थी जैसा कि पहले अनुमान लगाया गया था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि वह यह नहीं कह सकते हैं कि किस चीज़ को बनाना पहले शुरू किया गया. अक्टूबर के जर्नल ऑफ़ आरक्योलॉजिकल साइंस की रिपोर्ट बताती है कि मृत आदमी के अनुष्ठान समारोह में सम्मान देने के लिए बीयर बनाई जाती थी.
शोध टीम का नेतृत्व करने वाली स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर ली लियू ने स्टैनफ़ोर्ड न्यूज़ से कहा, "यह दुनिया में मानव निर्मित शराब का सबसे पुराना रिकॉर्ड है."
लियू कहती हैं कि वह इस चीज़ की खोज कर रहे थे कि उस समय लोग क्या खाते थे और किस तरह के पेड़-पौधे होते थे और इस शोध के दौरान उन्होंने गेहूं और जौ से बनने वाली शराब के अंश पाए.
यह अंश पत्थरों के गड्ढों में मिले हैं जो 24 इंच गहरे हैं और यह गड्ढे गुफा के धरातल पर घुमावदार बने हुए हैं. इनका इस्तेमाल सामान रखने और फली, जई के अलावा विभिन्न प्रकार के पौधों को पकाने के लिए होता था.ह प्राचीन शराब कुछ-कुछ खिचड़ी या दलिए की तरह थी. लेकिन जिस तरह की बीयर आज हम देखते हैं यह उस तरह की नहीं थी.
बीयर के जिस तरह के अंश उन्हें मिले हैं उसकी तुलना के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने वैसी बीयर भी बनाने का प्रयास किया.
विभिन्न अनाजों को मिलाकर बीयर बनाने की प्रकिया शुरू की गई तो वह आधुनिक बीयर से लगभग नीरस थी.
मुख्तियार सिंह सर उठाकर पंजाब के आसमान को टकटकी बांधे देखते हैं. उनकी 75 साल पुरानी बूढ़ी आंखें यहां बरनाला ज़िले में पड़ने वाली गर्मियों की तेज़ धूप से टकराकर अचानक चुंधिया सी जाती हैं.
लेकिन वो फिर सर उठाकर आसमान को देखते हैं. इस बार आंखों में पानी लिए. तभी अचानक उनकी सांस तेज़ हो जाती है और हरी पगड़ी के नीचे जमा पसीने की बूंदे पूरे चेहरे को भिगोने लगती हैं.
वह हांफते हुए कहते हैं, "उस आख़िरी शाम जब मेरा बेटा घर आया था, तब वो भी इस आसमान को ही देख रहा था. उसकी माँ ने चाय-पानी पूछा तो बोला नहीं पीऊँगा. उसकी माँ को कुछ अजीब लगा तो उसने पैसे का पूछा. बेटे ने कहा मुझे क्या करना पैसों का?”
उस शाम मुख्तियार का बेटा गुरलाल जैसे नींद में चलते हुए घर लौटा था. फ़रवरी की ठंड में भी उसे पसीने आ रहे थे और वो बस अपना सर उठाए आसमान को देखे जा रहा था.
उसकी माँ ने पूछा, आसमान में क्या देख रहा है. जवाब में बेटे ने कहा, ‘ऊपर आसमान में पंछी गोल गोल चक्कर लगा रहे हैं. मैं ये उड़ते पंछी ही देख रहा हूँ’. बस इतना कहकर वो गश खाकर ज़मीन पर गिर पड़ा. उसके मुँह से झाग निकलने लगा.
हमने तुरंत उसे उठाकर खटिया पर लिटा दिया. तब हमें मालूम नहीं था कि वो स्प्रे (कीटनाशक) पीकर आया था. इसलिए हमने सोचा उसे कोई दौरा पड़ा है. पर इससे पहले कि हम उसे इलाज के लिए ले जा पाते, वो चला गया. ख्तियार बरनाला जिले के बदरा गांव में रहने वाले किसान हैं. उनके बेटे की ही तरह उनके गांव में अब तक 70 किसान बढ़ते कर्ज़ के चलते ख़ुदकुशी कर चुके हैं. बेटे की मौत के वक़्त मुख्तियार के परिवार पर भी 5 लाख रुपए का कर्ज़ था जो उन्होंने अपनी 2 बेटियों की शादी और खेती से जुड़े ख़र्चे पूरे करने के लिए लिया था.
लेनदार घर आकर पैसे मांगते और पैसे न दे पाने की वजह से गुरलाल परेशान रहते. पर घर में सबको हिम्मत बंधाने वाले इस बेटे ने किसी को अंदाज़ा नहीं होने दिया की वह अंदर ही अंदर टूट रहे थे.
मुझे देखते ही गुरलाल की बूढ़ी माँ रोने लगती हैं. बेटे से हुई आख़िरी बातचीत उनके ज़हन में अब भी ताज़ा है. पूछने पर सिर्फ़ गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहेबजादों (गुरु गोविंद सिंह के बच्चों) के साथ लगी अपने बेटे की बचपन की तस्वीर दिखाती हैं.
उनके ख़ामोश आंसुओं की गूंज जैसे दोपहर के सन्नाटे को चीरते हुए उसी आसमान तक जाती थी, जिसको देखते हुए उनका बेटा चला गया था.
भारतीय सिनेमा में सालों से परोसी जा रही सरसों के खेतों, दूध की नदियों और नाचते गाते पंजाब के ख़ुशहाल किसानों वाली छवि के पीछे छिपी असली ज़मीनी कहानी मेरे लिए अभी शुरू ही हुई थी.
दिल्ली से शुरू हुई यात्रा जैसे ही दक्षिण पंजाब में दाख़िल होती है, आंकड़ो में खींची गई उदासीन तस्वीर आसपास ज़िंदा होने लगी. धूल की एक मोटी जर्द परत में डूबे बरनाला, संगररूर और मनसा ज़िलों के गांव किसी गहरी उदासी में डूबे थे.
साठ के दशक में हरित क्रांति के महनायकों के तौर पर उभरा पंजाब आज किसानों की क़ब्रगाह में क्यों तब्दील हो चुका है? ख़ुशहाली और समृद्धि के प्रतीक के तौर पर पहचाने जाने वाले इस राज्य में आज मौत का सन्नाटा क्यों पसरा पड़ा है? इन सब सवालों के जवाब ढूँढते हुए हम बरनाला ज़िले के भूटना गांव में रहने वाली 47 वर्षीय हरपाल कौर के घर पहुंचे.
हरपाल के घर की दीवारों की तरह ही उनकी ज़िंदगी में भी कोई नहीं रंग था. बीती तीन पुश्तों में उनके घर के चार लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इस फ़ेहरिस्त में सबसे नया नाम हरपाल के पति 50 वर्षीय भगवान सिंह का है जिन्होंने इसी जनवरी में ख़ुदकुशी कर ली. इससे पहले भगवान के पिता, उनके दादा और चाचा ने भी बढ़ते क़र्ज़ और घटती आमदनी के चलते आत्महत्या कर ली थी.
साल दर साल परिवार पर बीती त्रासदियों की छाप घर के माहौल में साफ़ महसूस की जा सकती थी. स्लेटी रंग के सलवार क़मीज़ पर काले रंग का दुपट्टा ओढ़े खड़ी हरपाल के व्यक्तित्व में दुख इस तरह घुल मिल गया था जैसे उनके शरीर का कोई हिस्सा हो. देर तक ख़ामोश रहने के बाद हरपाल ने बातचीत शुरू की.
“हमारे पास एक एकड़ से भी कम ज़मीन है. इस ज़मीन पर सिर्फ़ जानवरों के लिए चारा उग पाता है. खेती के लिए हमें ज़मीन किराए पर लेनी पड़ती है. पिछले साल भी हमने 15 एकड़ ज़मीन ठेके पर लेकर खेती की थी. सारी फ़सल तैयार खड़ी थी कि साल के आख़िर में ओले पड़ गए. हमारी खड़ी फ़सल बर्बाद हो गयी.
मेरे पति को वैसे भी ब्लड प्रेशर था. वो फ़सल ख़राब होने की टेंशन ले गए. परेशान रहने लगे. अक्सर रोते रहते और मुझसे कहते कि अब वो अकेले हो गए हैं. पहले से ही हमारे सर पर 8 लाख का क़र्ज़ था, उसपर भी फ़सल ख़राब हो गई तो हालात क़ाबू के बाहर हो गए”.
हरपाल बताती हैं कि उनके और उनके पति के लिए इस मुश्किल जीवन की पृष्ठभूमि उनकी शादी से पहले ही तैयार हो चुकी थी. उनके शादीशुदा जीवन की सबसे पुरानी यादें भी क़र्ज़ से आज़ाद नहीं हैं. वह जोड़ती हैं, “मेरे पति ने सारी ज़िंदगी जी तोड़ मेहनत की. ख़ुद फ़सल की रोपाई करते, फिर सिंचाई और देखभाल भी. दिसंबर की ठंड में भी जानवरों की रखवाली के लिए उन्हें खेतों पर जाना पड़ता था. पर हमारी क़िस्मत जैसे पहले ही तय हो चुकी थी.”
हरपाल का परिवार क़र्ज़ के एक ऐसे दुश्चक्र में फँस गया था जो पीढ़ी दर पीढ़ी घर के सदस्यों को निगलता जा रहा था.

Wednesday, September 12, 2018

北京表示有信心确保奥运空气质量

尽管有报道说中国首都北京的空气质量未能达国际水平,北京环保局坚持称,污染问题并不会影响奥运会的举行。
有报道说,浓雾于奥运会举行前一个月笼罩北京。英国广播公司在测试北京空气质量的七天中,有六天的空气质量未能符合世界卫生组织的空气中尘埃颗粒指数,即PM10。

然而北京环保局说,这不需担忧。美联社引述官员翟晓慧报道说: "我们有信心确保奥运期间的空气质量。"

从7月1日起,北京已禁行30万辆排放高的车辆。某些工厂和企业也已暂时被关闭。
八国集团领导人已同意努力实现在2050年前使全球碳排放量减半的目标。但环保活动家指出,该目标不足以抵销潜在的灾难性气候变化,并批评八国集团未有就中期目标许下承诺。
周二于日本北部举行的高峰会期间发表的公报指出,八国集团领导人同意就2050年的 "共同愿景"订下中期目标,但他们并没有提出实际数据。

世界自然基金会说: "八国集团排放了全球大气中累积的二氧化碳总量的62%,他们是气候变化的主犯,是造成气候变化问题的最大原因,但他们仍然回避这历史责任,世界自然基金会对此感到可悲。"

国际绿色和平组织政治顾问  说: "这是石油商最后一次阻挠世界向前迈进的结果,但唯一的好消息是,这将会是美国总统布什最后的八国峰会。"二报道说,世界主要工业国家领导人可能已在日本北部举行的八国集团会议上讨论不断恶化的粮食危机。但美食当前,他们并没有因此失去胃口来享用由25个厨师准备的8道19盘菜组成的晚宴。 时事评论者痛斥这顿奢侈的美味佳肴晚宴,当中包括乳羊和鱼子酱玉米。《卫报》报道说, "原来不止玛丽皇后倚在凡尔赛宫窗口,建议没面包吃的农夫吃蛋糕,连这些领导人竟然对日常困苦毫无感觉。"

英国保守党政治家克米切尔说: "八国集团一开始就过度支出,胡乱挥霍,已经开了个坏头。"

最近,世界粮食计划署公布,昂贵的食物价格已是近45年来的高峰,这"沉默的风啸"可能使每个洲有1百多万人陷入饥荒中。
英国广播公司报道,尼日尔政府已与中国签订协议,让中国协助提升其国家电力供应。中国公司最近已加快在尼日尔的活动,包括在北部和东部探勘铀和石油。
官方消息称,根据协议,中国将向尼日尔提供数台电机组,来帮助解决尼日尔城市电力经常中断的情况。

尼日尔是铀的主要生产国,同时也是世界上最贫穷和环境退化最严重的国家。最近由耶鲁大学和哥伦比亚大学共同发表 的"世界环境绩效指数"中,该国排名最后,是世界上最不环保的国家。卫报》报道,英国首相布朗呼吁国民应视节约食物如节约能源般重要。一份政府报告指出,英国每年浪费4百多万吨食物。 布朗参加了周一在日本开幕的八国峰会。该会议重点讨论上涨的食物和能源价格。

布朗说︰"如果我们想要食物价格降下来,就得减少不必要的需求,比如尽量减少食物浪费就可让每个英国家庭平均每周节省8磅(合16美元)的费用。"
中国最大饮料生产公司娃哈哈写了一封公开信,指责《财经》杂志对其三峡移民援建工作报道不实。该杂志宣称,涪陵娃哈哈迫使公司员工在反驳信中签名。
《财经》在报道中讨论娃哈哈在参与政府与企业合作的三峡移民安置中的参与情况。受三峡水库建设影响,至少有1,300名职工需迁徙。报道称,移民安置费用被滥用。

娃哈哈在反驳信中说,《财经》的报道不正确且忽视娃哈哈集团在三峡移民援建工作中取得的成就。

《财经》引述一匿名工人说︰"公司说若不签名,就下岗。"
周日,美国总统乔治布什说,任何有关全球暖化的协议都取决于中国和印度的参与。他在八国峰会前就共同环境目标的演讲中提到︰"……我可以很现实地说,如果中国和印度没有相同理念的话,那我们是不可能解决问题的。"
八国峰会将于周一在日本北海道举行。去年,在德国海利根达姆举行的八国峰会上,与会各国表示将"认真考虑"2050前全球温室气体排放减半的目标。有些国家表示希望达成协议来实现这个目标。

中国和印度将参与峰会的气候变化会议,两国均认为,在实现工业化前它们不可能减少温室气体排放。印度说,它将在该峰会上提出,只有同食物和能源安全相联系,才会有可能制定一个有意义的全球气候协议。对此,富裕国家却认为这样将很难达成一个协议。

同时,日本表示,除非美国新总统提出气候变化政策,否则它不会协商新二氧化碳排放目标。
国家媒体报道,中国因草原覆盖了约40%的国土面积,可利用这个优势来发展太阳能和风能。参加世界草地与草原大会的研究人员也因此非常看好中国作为乙醇生产基地的潜力。
新华社报道,中国农业大学教授张英俊在该会议上说,在草原上生产乙醇是"中国迈向清洁能源和可再生能源发展的重大一步"。

农业部官员刘家文(音译)指出,政府应资助生物燃料的研究和发展。

国际草原大会主席吉姆‧欧若克表示,中国在草原上的风能发展给他留下了深刻印象。"我看到中国在这方面已经上了轨道," 他说。
路透社引述专家指出,去年在佛罗里达州东北部发生的数宗呼吸系统疾病是由有毒海洋生物造成的红潮所引发的。
这种名为的有害藻类会产生神经毒素。一些科学家认为红潮的产生与近海污染及海水温度上升有关。

这一疾病侵袭了20名沙滩修复工地的工人,他们的病征包括咳嗽及喉咙不适。
英国《卫报》引述世界银行一内部研究报告说,生物燃料使全球粮食价格上涨了75%。美国政府早前声称以植物为基础的燃料不会造成超过3%的食物价格上升,并把粮食成本上涨与印度和中国需求上升相联系。
这一未被发表的世界银行研究报告基于目前最为详尽的危机分析,它完全驳斥了美国总统布什的论点。该报告指出:“发展中国家收入剧增并没有导致全球粮食消耗量的大幅增加,亦不是粮食价格急剧上涨的主要原因。"

该报告还说: "若生物燃料没有增加,全球小麦与玉米库存就不会有明显的下降,受其它因素影响而上涨的价格也会适度。"

下周在日本北部将举行八国高峰,届时高涨的粮食与油价格将成为重要议题。

Saturday, September 1, 2018

适应气候变化:被忽视的策略

近日,亚洲开发银行发布了最新的《东亚区域气候变化经济分析》报告,讨论了气候变化的减缓和适应策略。亚洲开发银行区域知识共享中心主任、报告作者薄洋在接受中外对话采访时表示,中国虽已为减缓气候变化做出不少努力,但仍有继续提升的空间。

中:中国政府在应对气候变化上是否做出了充分的努力?
薄:中国政府非常了解气候变化对国家发展的影响,在当前的“十二五”规划中,关于气候变化的内容被显著提及,这也证明了其了解改变发展模式的必要性。从这各方面来说,中国已经在为减少温室气体排放做了不少努力,但中国还可以有提升空间。
报告还提到了如何适应气候变化。由于人们普遍认为可以通过当前减缓气候变化的努力来减少其带来的影响,适应气候变化的说法常常被忽视。
我们在报告中所用到的模型还考虑到了降水量的不同情况。降水量有极为重要的影响,而且这也是适应气候变化说法的用武之地。当某地的降雨量发生变化,当地的农业也会受到非常大的影响。降雨量变化和气候变暖的共同作用将会导致地区作物结构的变化。
中:您认为中国在规划新的城镇时应当如何注意减少气候变化的影响?
薄:在过去的三十年的发展中,有不少规划是快速解决式的。在下一个发展阶段,一切的规划都应该是长期性的。因此,将气候变化纳入城镇化规划十分重要。城镇化的规划者们鼓励人们从乡村移居到城市,他们最好现在在规划的时候就能考虑到适应气候变化的措施。
中:今年早些时候,发改委的一份报告指出,地方缺乏热情导致全国节能减排大局形势严峻。您如何看待地方与中央在节能减排问题上的态度差异?
薄:假如中央政府要推动节能减排,那么中央有责任建立适当的监察机制。如果机制到位,然而地方仍不愿意实施,那么我认为,中央政府则应该考虑改变减排目标或者强迫地方执行其政策。
从“十二五”规划中,我们可以看出中国政府的努力方向是正确的。我们乐意见到“十二五”规划中关于气候变化内容的有力执行。
中:大众对气候变化是否有较强的意识?全球气候风险指数表明,菲律宾在178个遭受洪水、台风等极端天气的 国家中排名第二位,是受极端气候影响的重灾区。

联合国气候大会期间,欧洲环保组织“德国观察”发布报告,称1993-2012年期间菲律宾等贫困的发展中国家受极端天气的影响更大。

其中,海地、菲律宾和巴基斯坦的受损程度最严重。极端天气已造成53万人死亡,经济损失高达25000亿美元。

报告作者森克·克雷夫特表示,他们采用的指标主要包括死亡人数、极端天气数目、人均财产损失以及国内生产总值的减少。

克雷夫特还提到席卷菲律宾的超强台风海燕可能已造成数千人死亡,下一份报告会将其纳入统计范围。

报告还指出,2012年台风宝霞导致菲律宾1400余人死亡,超过两年中所有灾难的总和。

德国观察政策部主管克里斯多夫·巴尔斯说,这份报告强调了尽管很多发展中国家已开始采取措施应对气候变化引起的自然灾害,但发达国家应该为它们提供充足的资金和制度支持,帮助其提高适应能力,做好更充分的准备。

在联合国气候变化框架公约峰会举办之际,巴尔斯接受InterAksyon网站采访表示:“台风海燕重创菲律宾,这为在华沙参加峰会的各国领导人敲响了警钟,他们必须认真考虑气候变化适应及资金问题。”

菲律宾气候变化委员会秘书长玛丽安·露西尔·赛琳认为,这份报告证实了在气候变化引发的灾难时,发展中国家尤为脆弱。

赛琳告诉InterAksyon的记者:“台风海燕也证明了这一点。我们现在要解决的问题是如何更好地展开重建工作。我们感谢各国的援助,但援助只是暂时性的,我们需要尽快对气候变化应对和灾难风险管理工作进行整体性地规划。”

赛琳还补充说道:“极端天气已不再陌生。我们要继续敦促各国减少温室气体排放,同时还要立即行动起来,增强应对能力,降低气候变化的风险。”

原住民政策研究和教育国际中心的执行理事维琪·陶丽·柯普孜是科迪勒拉区(注:菲律宾行政区,主要居民为山区各土著部落)的一位活动家,她说看到菲律宾被列为受损最严重的国家一点儿也不意外。

陶丽·柯普孜说:“台风海燕使我对报告结果更加确信不疑。我们这里是群岛,四周一片汪洋,我们砍伐森林、红树林,而这些植被原本可以缓解极端天气的影响。地理位置、糟糕的生态系统管理以及决策失误都使我们面对气候变化时脆弱不堪。”

乐施会“Grow粮食公义运动”和绿色和平东南亚办公室联手成立AFAB(呼吁东盟致力于公平、目标远大、一体化的全球气候协议),该组织表示东盟应该在联合国气候大会上采取积极、统一的立场。

乐施会“Grow粮食公义运动”协调人努尔力·梅尔卡多说:“东盟各国领导人应该推动各国在2020年前后达成温室气体减排协议,他们应该呼吁发达国家为‘绿色气候基金’提供各种资源。”
薄:虽然气候变化在领导层中获得不少关注,但在大众当中还不是当务之急,大众的气候变化意识也不强。
然而,类似空气污染和食品安全等问题近来却逐渐引人关注,而这类问题在一定程度上和气候变化是相关的。假如我们以类似空气质量和食品安全等核心利益的角度来讨论气候变化,那将会是双赢。